Thursday, December 07, 2006

'कैफ़ी और मैं'



शबाना आज़मी के लिए यह नाटक एक निजी कहानी भी था
मरहूम शायर कैफ़ी आज़मी की शायरी एक बार फिर जीवंत हो गई जब 'कैफ़ी और मैं' नामक नाटक का मंचन न्यूयॉर्क में किया गया.
कैफ़ी आज़मी की बेटी और बॉलीवुड की मशहूर अभिनेत्री शबाना आज़मी और उनके पति और मशहूर शायर जावेद अख्तर ने न्यूयॉर्क में कैफ़ी आज़मी और शौकत कैफ़ी की यादों पर आधारित इस नाटक का मंचन किया.
न्यूयॉर्क के मशहूर लिंकन सेंटर के एलिस टुली सभागार में शेरो शायरी के शौकीन ही नहीं बल्कि शबाना आज़मी और जावेद अख्तर की अदायगी के अंदाज़ के शौकीन भारी संख्या में जमा हुए.
दूरदराज़ से न्यूयॉर्क आने वाले इन उर्दू शायरी के प्रेमियों में बहुत से कैफ़ी आज़मी की शायरी के साथ साथ शबाना आज़मी के अंदाज़ का भी लुत्फ़ उठाना चाहते थे और उन्हें कतई मायूसी भी नहीं हुई.
इस नाटक में संगीत औऱ गायकी को मिलाकर एक अलग तरह की प्रस्तुति तैयार की गई है.
जावेद अख्तर के लिखे इस नाटक में शबाना आज़मी और जावेद अख्तर के अलावा गायक जसविंदर सिंह की भी भूमिका है.
नाटक का आगाज़ हुआ, पर्दा खुला, शबाना आज़मी और जावेद अख्तर स्टेज के अलग अलग किनारों पर नज़र आए.
फिर शुरू हुआ सिलसिला कैफ़ी आज़मी औऱ शौकत कैफ़ी के पत्रों और शेरो शायरी की झलकियों का.


ज़िंदगी के विभिन्न पहलू
इस नाटक के ज़रिए शबाना आज़मी और जावेद अख्तर ने कैफ़ी आज़मी और शौकत कैफ़ी की ज़िंदगी के विभिन्न पहलुओं को पेश किया.
शबाना आज़मी और जावेद अख्तर ने नाटक में प्रमुख निभाई
कैफ़ी आज़मी और शौकत कैफ़ी की ज़िंदगियों के कुछ लम्हों को इन दो महारथियों ने कुछ ऐसे अंदाज़ में पेश किया जो सिर्फ़ यही दोनों कर सकते थे.
तीन घंटों तक यह सिलसिला चलता रहा और दर्शकगण अपनी सीटों पर जड़ से गए. जब कोई हंसी का लम्हा आता तो दर्शकों की हंसी से सभागार जाग उठता.
शबाना आज़मी के लिए यह नाटक एक निजी कहानी भी था जिसका उन्हें पूरा एहसास भी था.
नाटक के दौरान कई बार तो शबाना के चेहरे के हाव भाव उनके दिल का हाल बयान कर देते थे.
खासकर वह लम्हा जब वह अपने पिता कैफ़ी आज़मी के मृत्यु का ज़िक्र करती हैं, तो उनकी आंखें छलक आती हैं. इस मौक़े पर कई दर्शकों को भी आंसू पोछते देखा जा सकता था.
कैफ़ी आज़मी अपनी ग़ज़लों और हिंदी फ़िल्मों में मशहूर हुए गानों के लिए जाने जाते थे. उनके गानों को ज्यादातर मोहम्मद रफ़ी ने गाया था.
लेकिन इस नाटक में उभरते हुए ग़ज़ल गायक जसविंदर सिंह ने उन ग़ज़लों को गाने की ज़िम्मेदारी सर अंजाम दी.
फ़िल्म अर्थ की ग़ज़ल – तुम इतना क्यूं मुस्कुरा रहे हो....- और हीर रांझा जैसी फ़िल्मों की ग़ज़लें गाकर जसविंदर ने दर्शकों का मन मोह लिया.
नाटक में संगीत दिया जसविंदर के ही पिता कुलदीप सिंह ने और सेट की डिज़ाइन की ज़िम्मेदारी, गरम हवा से मशहूर हुए फ़िल्म निर्देशक एम एस सथ्यू ने संभाली थी.

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