Sunday, August 13, 2017

बारिश, बाढ़ और गोरखपुर

तीन दिन से मूसलाधार बारिश हो रही है लगातार। रुकने का नाम नहीं ले रही है बारिश। कोसी का जलस्तर भी बढ़ता जा रहा है। नेपाल सीमा पर स्थित जोगबनी में बाढ़ की स्थिति पैदा हो गई है। वहीं जल-निकासी की कोई व्यवस्था नहीं होने के कारण पूर्णिया शहर भी पानी से लबालब है। मोहल्ले की सड़क घर से ऊँची बना दी गई और नाले की राशि कहीं और चली गई। समस्या हम सब भी पैदा करते हैंजब आवाज़ उठानी चाहिए तब हम चुप्पी साध लेते हैं। मुझे अपनी यह सब परेशानी गोरखपुर की ख़बर के सामने कुछ भी नहीं लगती है। 

गोरखपुर को लेकर जो कुछ भी सोशल मीडिया पर पढ़ रहा हूं उससे यही लगता है कि एक अंधेरी गली में हम सब अब रहने लगे हैं, जहाँ हुकूमत भी अंधेरे से इश्क़ करने वाले के हाथ में है। बच्चों की मौत पर चुप्पी फिर यह कहना कि हर साल ऐसा होता है ! अजीब वक़्त है। अजीब हुक्मरान है। 

राजनीतिक यात्रा और रैलियों के लिए नेता समाज को फ़ंड का अभाव नहीं है लेकिन किसी सरकारी अस्पताल में हर चीज़  का अभाव रहता है। गोरखपुर की घटना ने मुझे डरपोक बना दिया है। सच कहूँ तो सरकारी अस्पताल से डरने लगा हूं। 

अस्पताल, स्कूल और सड़क को लेकर सरकार को ठेकेदारों से बचना होगा। एक अनुभव सुनाता हूं। एक शाम रोगी के संग सरकारी अस्पताल जाना हुआ। डॉक्टर ने देखा और कहा कि फ़लाँ निजी जाँच घर से रिपोर्ट लेकर आएँ फ़िर कुछ कहा जाएगा। सरकारी अस्पताल की यही सच्चाई है। 

हर घटना के बाद जाँच समिति बनती है। रिपोर्ट आते हैं। इस्तीफ़ा लिया जाता है, फिर कोई घटना नई हो जाती है और हम पुरानी घटना को भूल जाते हैं। लेकिन याद रखिए, जब ऐसी त्रासदी हमारे ऊपर से गुजरेंगी तब हमें अहसास होगा कि गोरखपुर त्रासदी की पीड़ा क्या होती है। 

गोरखपुर के मेरे एक मित्र ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के क्षेत्र में स्थित बीआरडी मेडिकल कॉलेज में इंसेफलाइटिस से हर रोज दो से तीन बच्चों की मौत हो रही है। इसके साथ ही हर रोज़ पांच नवजात शिशु मर रहे थे। यह आँकड़ा डरवाना है। 

हम जहाँ हैं, वहीं हमें सतर्क और मुखर होना होगा। मसलन पूर्णिया का सदर अस्पताल हमें जाना होगा। डर को दूर भगाना होगा। यहाँ के ज़िलाधिकारी को लगातार नज़र बनाए रखने के लिए कहना होगा। सरकार पर सवाल उठाना चाहिए साथ ही हमें अपने अधिकारों के लिए भी मुँह खोलना होगा। ऐसी घटनाओं से सरकार को अक्सर फ़र्क़ नहीं पड़ता। यदि पड़ता तो स्थिति कुछ और होती। 

हमें यह समझना होगा कि सत्ता बदल जाती है, मगर बीमारी नहीं बदलती। इसके लिए हमें मुखर होना होगा। गोरखपुर त्रासदी को देखिए, मोदी जी प्रधानमंत्री बन गए और इंसेफलाइटिस पर आंदोलन करने का दावा करने वाले योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री ! लेकिन ग्राउंड की स्थिति वैसी है। तब एनडीए के लोग यूपीए को गरियाते थे और अब यूपीए के नेता एनडीए की सरकार पर निशाना साधेंगे। यह सब चलता रहेगा और फ़िर चुनाव जाएगा। जब मौत की बात आती है तब जाकर ही ख़बर सामने आती है लेकिन 'बीमारी' की शुरुआत में ही हम सचेत हो गए तो हालत सुधर सकती है। 


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